Premanand Ji Maharaj Satsang: आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज अपनी प्रेम, करुणा और सेवा के उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके पास भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई। अपने सरल विचारों के माध्यम से लोगों को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं। उन्होंने अकेलेपन से मुक्ति के लिए भगवान से प्रेम को एक मात्र जरिया बताया।
हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से एक भावनात्मक सवाल किया। उसने बताया कि वह पिछले एक साल से अपनी मां के कहने पर उनकी YouTube वीडियो सुन रही है, जिसकी कृपा से उसके सारे बुरे आचरण और आदतें छूट गई हैं। लेकिन जब वह अकेलापन महसूस करती है, खासकर किसी खास स्थिति या हालात में, तो उसका मन फिर से गलत संगत और नकारात्मक आचरण की ओर आकर्षित हो जाता है।
इस परेशानी से निपटने के लिए वह नाम जप करती है और महाराज की वीडियो सुनती है, जिससे उसे थोड़ी राहत मिलती है। फिर भी, एक-दो बार वह गलती कर बैठती है, जिसके बाद उसे गहरा अपराधबोध होता है, आंखों में आंसू आते हैं। वह जानना चाहती थी कि ऐसे में खुद को कैसे मजबूती दे और बुराई से पूरी तरह मुक्ति पाए।
Premanand Ji Maharaj Satsang: अकेलेपन से मुक्ति के लिए अपनाए भगवान से प्रेम
प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का जवाब देते हुए गहरी आध्यात्मिक सलाह दी। उन्होंने कहा कि वह बचपन से एकांतवासी संत जीवन जी रहे हैं और आज तक उनके जीवन में कोई दोस्त नहीं रहा। उनके लिए भगवान ही सच्चा यार, प्यार और मित्र हैं। महाराज ने समझाया कि अकेलापन तभी तक तकलीफ देता है, जब तक हम इंसानों, वस्तुओं या किसी खास स्थान को अपना सहारा मानते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज आगे कहा कि अगर हम भगवान को अपना सबसे करीबी साथी बना लें, तो अकेलापन अमृत की तरह लगने लगता है, ऐसा कि कोई न मिले, कोई न देखे, फिर भी मन शांत रहे। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि संसार का प्यार कितना नश्वर है। जैसे कोई पति अपनी सुंदर पत्नी से प्यार करता है, लेकिन अगर उसका हृदय से भगवान चला जाए और वह मर जाए, तो उसका शरीर जलाकर फेंक दिया जाता है।
इसका मतलब साफ है कि असल प्यार तो भगवान से ही होता है, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो। अगर जानबूझकर भगवान से प्रेम किया जाए, तो यह प्यार जीवन को प्रेममय, अविनाशी और पूर्ण बना देता है। ऐसे में किसी बाहरी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि भगवान सबसे सुंदर, करुणामय और कृपालु हैं।
महाराज ने माना कि भगवान से जुड़ना आसान नहीं है, क्योंकि वे दिखाई नहीं देते, जबकि संसार हमारे सामने प्रगट है। यही कारण है कि माया का पर्दा हमें गलत दिशा में ले जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि साधना, भजन और नाम जप के जरिए इस पर्दे को हटाना होगा। जब तक भगवान का कनेक्शन हृदय में नहीं बनेगा, अकेलापन और गलत आकर्षण बना रहेगा। एक बार भगवान से गहरी यारी हो जाए, तो अकेलापन हमेशा के लिए गायब हो जाता है और मन सच्ची शांति पाता है।
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