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Himachal Monsoon Tragedy: साहब..! आंखों के सामने बह गए आशियाने और पुल, आपदा प्रभावितों का छलका दर्द…

Himachal Monsoon Tragedy: साहब..! आंखों के सामने बह गए आशियाने और पुल

Himachal Monsoon Tragedy: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस बार की आपदा में मंडी जिला में बहुत तबाही हुई है। सराज समेत अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में तेज़ी लाई जाए और लापता हुए दो दर्जन से अधिक लोगों की तलाशी में गंभीरता से काम किया जाए।

बुधवार को अपने गृह विधानसभा क्षेत्र के कुकलाह और बगस्याड में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद उन्होंने कहा कि सराज क्षेत्र में तीन दिनों से न तो बिजली है और न संचार सेवाएं चल रही है। थुनाग पहुंचना ही मुश्किल हो गया है और जंजैहली तक मुख्य सड़क पूरी तरह टूट चुकी है। कई पर्यटक फंसे हुए हैं और जहां बादल फटने से लोग बह गए हैं उस गांव पख़रैर तक न तो प्रशासन पहुंच पाया है और न हम जा पा रहे हैं।

20 किमी के दायरे में सड़क नाममात्र बची है और जगह जगह सड़कों पर भारी लैंड स्लाइड हुए हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक अभी तक पख़रैर पंचायत के डेज़ी से ही 11 लोग, थुनाग से पांच और दो लोग पांडवशीला से लापता हैं। आज जहां भी गया हूं लोगों के घर और दुकानें बह गई हैं और शरण जैसे गांव में दस से 12 घर तबाह हुए हैं। इसी इलाके में करीब 200 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। यही हाल थुनाग इलाके का है जहां 150 से अधिक घर गिर गए हैं और इतने ही आंशिक रूप से टूट गए हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि पूरे इलाके में 25 से अधिक छोटे और बड़े पुल टूट चुके हैं। लोगों को आने जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। अभी तक प्रशासन राहत राशि तक नहीं बांट सका है और न प्रभावित इलाकों तक पहुंच पाया है। उन्होंने कहा कि आज ही मैंने केंद्र सरकार से बात कर एनडीआरएफ भेजने और राहत कार्यों के लिए वायुसेना के दो हेलिकॉप्टर भेजने की मांग की थी और तुरंत गृह मंत्री जी ने ये भेज भी दिए।

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आज एनडीआरएफ के कमांडेंट रजनीश से मौके पर बात कर लापता लोगों को तलाश करने को युद्धस्तर पर काम करने को कहा है। जलशक्ति, लोक निर्माण और बिजली बोर्ड के चीफ इंजीनियर से बैठक कर उन्हें निर्देश भी दिए हैं। रात को उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने भी मिलकर नुकसान बारे जानकारी दी और आगे कैसे राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम चलाने है उस पर विस्तृत चर्चा की है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मेरी मुख्यमंत्री से भी आज सुबह बात हुई है और मैंने उनसे आग्रह किया है कि अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए जाए क्योंकि जिस तरह की ये त्रासदी हुई है आज से पहले इतना नुकसान सराज में कभी नहीं हुआ है।

कुकलाह और बाखली सहित आस पास के क्षेत्रों के लोगों के लिए रोपवे की सुविधा को चौबीस घंटे और रियायती दरों पर बहाल करने बारे उन्होंने रोपवे के अधिकारियों से बात की और स्थानीय लोगों को जरूरी सामान यहां से ले जाने को कहा। अपने गृह विधानसभा क्षेत्र सराज के तहत आने वाले कुकलाह और बाखली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि युद्धस्तर पर सड़कों की बहाली का काम किया जाए। जयराम ठाकुर कैंची मोड़ से रोपवे के माध्यम से बाखली और कुकलाह पहुंचे।

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उन्होंने आपदा प्रभावितों से मुलाकात की और उन्हें केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्राकृतिक तौर पर जो त्रासदी इस क्षेत्र में हुई है इससे पहले ऐसी त्रासदी कभी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि कुकलाह और बाखली पुल टूट चुके हैं और अब इस क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन का एकमात्र साधन रोपवे ही है।

इसलिए इस रोपवे को लोगों की सुविधा के लिए चौबीस घंटे रियायती दरों पर बहाल रखा जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपना राशन आदि का सामान ले जाने की भी यहीं से ही अनुमति भी दी जाए, क्योंकि और कोई विकल्प लोगों के पास मौजूद नहीं है। जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार से सराज के अन्य क्षेत्रों में लोगों के रेस्क्यू आपरेशन में तेजी लाने और राहत सामग्री को जल्द पहुंचाने की मांग भी रखी है।

आंखों के सामने बह गए आशियाने और पुल

कुक्लाह गांव के 9 प्रभावित परिवारों ने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने घर, सामान और जीवन भर की कमाई को बहते देखा। हम तो अपना सामान तक नहीं निकाल पाए, बच्चों को जैसे-तैसे लेकर भागे। अब न घर है, न खाना, बस इंतजार है कि प्रशासन आए और कुछ मदद करे। इन बेघर परिवारों को फिलहाल रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घरों में शरण लेनी पड़ रही है। कुछ लोग अब भी टूटे हुए घरों के पास बैठे हैं, कि शायद कोई अधिकारी आए और उनकी मदद करे।

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शरण की तबाही में बह गए घर, सेब बागीचे और जमीनें

शरण पंचायत के प्रधान ऋषभ और जिला परिषद सदस्य रजनी ठाकुर ने कहा कि सोमवार की वो रात यहां कहर बनकर आई। हमारे घर, सेब बागीचे और जमीनें भूस्खलन की चपेट में आई और फिर बाढ़ सब कुछ बहा ले गई। रात को कीचड़ में कर औरतें और बच्चे फंसे रहे जिन्हें युवाओं ने सुबह रात खुलते बड़ी मशक्कत से बाहर निकाला। स्थानीय महिलाओं ने रोते हुए अपनी आपबीती बताई और कहा कि उनके मवेशी उनके सामने सामने बह गए लेकिन हम उन्हें बचा नहीं सके।

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