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Khushwant Singh LitFest: जनरल कार्डोजो ने पंडित नेहरू की नीति पर उठाए सवाल! अग्निवीर को लेकर भी दिया बड़ा बयान ..

Khushwant Singh LitFest: जनरल कार्डोजो ने पंडित नेहरू की नीति पर उठाए सवाल! अग्निवीर को लेकर भी दिया बड़ा बयान ..

Khushwant Singh LitFest: कसौली क्लब (Kasauli Club) में आयोजित 13वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट (13th Khushwant Singh LitFest) में जनरल इयान कार्डोजो (Ian Cardozo) ने प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की नीति पर गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि नेहरू ने पड़ोसी देशों को दुश्मन नहीं मानने की गलती की, जिसका खामियाजा 1962 में भारत-चीन युद्ध (India-China War) में हार के रूप में भुगतना पड़ा। जनरल कार्डोजो ने लेखक प्रोबल दासगुप्ता और मनराज के साथ अपनी किताब में इस मुद्दे पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि पंडित नेहरू का “हिंदी-चीनी भाई-भाई” (Hindi-chinese Bhai Bhai) का नारा उस समय पूरी तरह गलत साबित हुआ, जब चीन ने भारत की पीठ पर वार किया। इसके साथ ही, उन्होंने उल्लेख किया कि तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने 12 साल पहले ही नेहरू को आगाह किया था कि चीन जैसे देश को दोस्त नहीं मानना चाहिए।

सेना में राजनीति के दखल पर बोले 

सेना में राजनीति के दखल पर उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अखनूर में कमान संभाली, तो उन्हें आदेश मिला था कि आरसीएल गन और अन्य हथियारों का इस्तेमाल नहीं करना है। लेकिन जब उन्होंने हालात का सामना किया, तो उन्होंने अपने अधीनस्थ कमांडर को पाकिस्तान के बंकर को निशाना बनाने की अनुमति दी, यह कहते हुए कि “पाकिस्तान के पांच सैनिक अधिक महत्वपूर्ण हैं या भारतीय जीओसी-इन-सी की जान।”

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अग्निवीर योजना पर जनरल कार्डोजो ने दी तीखी आलोचना

अग्निवीर योजना (Agniveer Yojana) पर जनरल कार्डोजो ने तीखी आलोचना की और इसे देशहित में गलत निर्णय बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में पाकिस्तान और चीन का संयुक्त युद्ध संभव है, और बांग्लादेश भी अब मित्र नहीं रहा। ऐसे में अग्निवीर कैसे लड़ेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।

जनरल कार्डोजो का कहना है कि अगर देश को प्राथमिकता दी जाए, तो कभी-कभी आदेशों का पालन न करना आवश्यक हो सकता है। उनका यह बयान न केवल नेहरू की नीति पर सवाल उठाता है, बल्कि भविष्य के युद्ध की तैयारी को लेकर भी गंभीर चिंताओं को उजागर करता है।

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परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाने को की थी मना 

परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाने को की थी मना 
लेखक प्रोबल दासगुप्ता

सत्र में पाकिस्तान के पूर्व वायु सेना चीफ रहे परवेज़ मेहदी कुरैशी पर भी चर्चा हुई, जो 1971 युद्ध के दौरान भारत में युद्धबंदी भी रहे थे। लेखक प्रोबल दासगुप्ता ने उन पर चर्चा करते हुए कहा कि परवेज़ मेहदी कुरैशी व परवेज मुशर्रफ बैचमेट थे, इसलिए वह उनको भली भांति जानते थे। उन्होंने कहा कि परवेज़ मेहदी कुरैशी ने तो एक बार पीएम नवाज शरीफ को यह तक कह दिया था कि परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख न बनाएं।

2024 चुनाव के बाद इंडिया को सांस लेने का एक और मौका मिला है : मनीष तिवारी

2024 चुनाव के बाद इंडिया को सांस लेने का एक और मौका मिला है : मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी

खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में द फ्यूचर ऑफ पॉलिटिक्स विषय चर्चा करने के लिए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी व प्रेम शंकर झा ने चर्चा की। यह चर्चा हाल के भारतीय चुनावों और गाजा व यूक्रेन में संघर्ष पर रही। चर्चा के दौरान तिवारी व प्रेम शंकर झा ने रूस व युक्रेन युद्ध, गाजा में संघर्ष पर विश्लेषण किया। वहीं हाल में भारत में हुए चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया को सांस लेने का एक और मौका मिला है।

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संगीत का अनूठा अनुभव प्रसिद्ध वायलिनिस्ट एल. सुबरमण्यम ने रखे विचार 

संगीत का अनूठा अनुभव प्रसिद्ध वायलिनिस्ट एल. सुबरमण्यम ने रखे विचार 
प्रसिद्ध वायलिनिस्ट एल. सुबरमण्यम

सुब्रमण्यम ने लंदन में अपने प्रसिद्ध प्रदर्शन का उल्लेख किया, जहां उन्होंने दो संगीत जगतों के बीच की खाई को पाटा। उनकी जुगलबंदी ने उत्तर और दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध संभावनाओं को उजागर किया। उनके सहयोग में येहुदी मेनुहिन और जॉर्ज हैरिसन के साथ की जुगलबंदी ने संगीत की सीमाओं को विस्तारित करने की उनकी प्रतिबद्धता को साबित किया। यह सत्र दर्शाता है कि संगीत विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम है।

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