Himachal News: पहाड़ी राज्य हिमाचल में भांग की खेती ( Bhaang Ki Kheti) को औषधीय और औद्योगिक रूप उपयोग के लिए लीगल किये जाने का रास्ता साफ हो गया है। मानसून सत्र के दौरान प्रदेश में भांग की खेती लीगल करने को लेकर कैबिनेट मंत्री जगत नेगी ने सदन में नियम 102 के तहत सरकारी संकल्प रखा, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। प्रस्ताव विधानसभा के पटल पर चर्चा के लिए रखा गया सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा इस पर चर्चा के बाद इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य शामिल हैं। भांग की खेती से प्रदेश के लोगों के आय के साधन भी बढ़ेंगे और सरकार को भी सालाना अनुमानित लगभग 500 करोड़ रुपये आय हाे सकेगी।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि पड़ोसी राज्य उतराखंड सहित अन्य राज्यों में नशा मुक्त भांग की खेती की जा रही है। एनडीपीएस एक्ट में भी भांग की खेती (Bhaang Ki Kheti) पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति ना हो इसके लिए भी कड़े प्रावधान करने होंगे। मंत्री नेगी ने कहा कि सरकार एसओपी बनाकर हिमाचल में भांग की खेती को करने की इजाजत देगी।
हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने से कई फायदे होंगे। एक तो भांग से कई तरह की दवाइयां बनाई जाती हैं और अगर इसकी खेती की जाए तो यह राजस्व का अहम जरिया बन सकती है। इसलिए हिमाचल सरकार भांग की खेती को वैध करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
दरअसल, वर्ष 1985 में भारत में भांग की खेती को अवैधानिक घोषित किया गया था। हिमाचल प्रदेश में अनुमानित 2400 एकड़ भूमि पर भांग की संगठित अवैध खेती हो रही है। गांजा परंपरागत रूप से पुराने हिमाचल के कुछ हिस्सों में उगाया जाता रहा है, जिसमें शिमला, मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भांग की खेती (Bhaang Ki Kheti) को कानूनी मान्यता देने के लिए एक कमेटी गठित की थी। कमेटी के अध्यक्ष राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी हैं और इसमें सीपीएस सुंदर ठाकुर, न्यूरोसर्जन व भरमौर विधायक डॉ. जनक राज, भाजपा विधायक हंसराज और द्रंग भाजपा विधायक पूर्ण ठाकुर भी शामिल हैं।
इस कमेटी ने भांग की खेती के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए उत्तराखंड का दौरा भी किया। इसके अलावा कमेटी के सदस्यों ने हिमाचल के कई इलाकों का दौरा भी किया ताकि वे स्थिति का सही आकलन कर सकें। कमेटी की रिपोर्ट पिछले साल विधानसभा में पेश की गई थी। कमेटी ने बताया था कि भांग की खेती के कई फायदे हैं और यह राज्य के लिए राजस्व का बड़ा जरिया बन सकता है। इसलिए हिमाचल सरकार भांग की खेती को वैध करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
गौरतलब है कि भांग की खेती (Bhaang Ki Kheti) का इतिहास 12 हज़ार वर्ष पुराना है और नशे के रूप में भांग को लेकर हिमाचल के कुछ जिले खासे बदनाम भी हैं। हालांकि भांग को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार इस समय बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में भांग की खेती संकट से जूझ रहे राज्य में अब कमाई का नया जरिया बनेगी, और सरकार अब भांग से कमाई करेगी। कांग्रेस सरकार ने भांग की खेती को लीगल करने और औषधीय व औद्योगिक क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल का प्रस्ताव विधानसभा में रखा।
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कर्ज में डूबे हिमाचल के लिए औषधि बनेगी भांग की खेती?