अनिल शर्मा | फतेहपुर
Kangra News: केंद्र सरकार ने फिना सिंह परियोजना डैम (Fina Singh Project Dam) के निर्माण के लिए लगभग 300 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने इसके लिए टैंडर आमंत्रित किए। हालांकि, जैसे ही निविदाएं खुली, विपक्ष ने प्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर और पूर्व मंत्री विक्रम ठाकुर ने इस टैंडर प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि एक अनुभवहीन कंपनी को टैंडर आवंटित किया जा रहा है, जो इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए बिल्कुल असंवेदनशील है।
वहीँ पूर्व वन मंत्री और नूरपुर विधानसभा के पूर्व विधायक राकेश पठानियां (Former minister Rakesh Pathania) ने भी इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार और संबंधित विभाग को आड़े हाथों लिया। उन्होंने इसे अपने “ड्रीम प्रोजेक्ट” के साथ खिलवाड़ करार देते हुए कहा कि सरकार और विभाग फिना सिंह परियोजना डैम के निर्माण में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरत सकते।
पठानियां ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि फिना सिंह परियोजना डैम के निर्माण के लिए 294 करोड़ रुपये की लागत का कार्य एक अनुभवहीन कंपनी को आवंटित करने की तैयारी प्रदेश सरकार ने की है। उन्होंने कहा, “यह सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है, क्योंकि नियमों को ताक पर रखकर एक असमर्थ कंपनी को टैंडर दिया जा रहा है। यह बांध निर्माण जैसा महत्वपूर्ण कार्य केवल योग्य और अनुभवपूर्ण कंपनियों को सौंपा जाना चाहिए।”
वहीं, पठानियां ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पिछले 2012 से 2017 तक पांच सालों में इस परियोजना पर कोई ध्यान नहीं दिया और यह काम पूरी तरह ठप पड़ा रहा। केवल सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने विशेष बजट आवंटित किया और इसे केंद्रीय योजनाओं में शामिल कराया।
उन्होंने सरकार से मांग की कि अगर विभाग और सरकार इस टैंडर को निरस्त नहीं करती हैं और गलत तरीके से काम आवंटित करती हैं, तो भाजपा सत्ता में आने के बाद इस मामले की जांच कराएगी और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पठानियां ने कहा किफिना सिंह परियोजना डैम का काम जिला कांगड़ा के नूरपुर क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और इसमें किसी भी प्रकार की कोताही या धांधली को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार टैंडर को निरस्त करे और इसे फिर से सही शर्तों के साथ योग्य कंपनियों को आवंटित किया जाए।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जिस कंपनी को टैंडर दिया जा रहा है, उसने आज तक बांध निर्माण जैसे बड़े कार्य क्यों नहीं किए हैं? यह पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू महसूस हो रही है, और यह सरकार का जिम्मा बनता है कि इस परियोजना की पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, पठानियां ने यह भी कहा कि अगर इस मुद्दे को जल्द हल नहीं किया गया, तो भाजपा इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने को भी मजबूर होगी।
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