प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों वाले नेताओं को चुनावी टिकट देने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्यवाई से जुड़ी याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें चुनाव आयोग को उम्मीदवारों के आपराधिक मामले के रिकॉर्ड और उनके चयन के कारणों को छिपाने के लिए राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
इस याचिका में कहा गया है कि जो भी राजनीतिक दल ऐसे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को चुनाव में खड़ा करता है और उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं करता है, तो चुनाव आयोग को उसकी मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाए
बता दें कि उत्तर प्रदेश से कथित गैंगस्टर नाहिद हसन को मैदान में उतारने के समाजवादी पार्टी के फैसले के संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। कैराना विधानसभा सीट पर अगले महीने चुनाव होने वाले हैं।
उपाध्याय ने दावा किया कि पार्टी ने अपनी वेबसाइट या प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से नाहिद हसन के आपराधिक इतिहास के बारे में खुलासा नहीं किया और उन्हें नामांकन दाखिल करने दिया। उन्होंने कहा कि पिछले आपराधिक रिकॉर्ड को छिपाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदान किए गए स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने के नागरिक के मौलिक अधिकार का खंडन करता है।
पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने आठ राजनीतिक दलों को आपराधिक इतिहास को प्रकाशित नहीं करने के निर्देशों के उल्लंघन के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। याचिकाकर्ता ने तत्काल मामले की सुनवाई की मांग की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए कोई तारीख नहीं बताई।