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Solan: दस महीने से खुले में पढ़ाई को मजबूर कुमारहट्टी के नन्हे बच्चे, कब मिलेगा अपना स्कूल?

Solan: दस महीने से खुले में पढ़ाई को मजबूर कुमारहट्टी के नन्हे बच्चे: कब मिलेगा अपना स्कूल?

कुमारहट्टी, 10 जून (नवीन) –
Solan: प्राथमिक पाठशाला कुमारहट्टी के करीब 160 छोटे-छोटे छात्र, पिछले 10 महीनों से खुले में शिक्षा लेने को मजबूर हैं। 11 जुलाई 2023 को आई आपदा के दौरान स्कूल का डंगा क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते शिक्षा विभाग के आग्रह पर लोक निर्माण विभाग ने इसे असुरक्षित घोषित कर दिया था। तब से लेकर अब तक इन नन्हे बच्चों ने कई जगहों की ठोकरें खाई हैं, लेकिन उन्हें उनका अपना स्कूल नहीं मिल पाया।

अप्रैल में जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक में यह मामला सामने आने पर, उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने स्कूल में आकर स्थानीय पंचायत को तुरंत डंगा लगाने के निर्देश दिए थे। पंचायत ने भी तत्परता दिखाते हुए डंगे का निर्माण कई महीने पहले ही पूरा कर लिया, परन्तु शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण बच्चों को अभी तक अपने स्कूल में नहीं लौटाया गया।

गुरुद्वारा साहब ने भी 1 जून से अपना कार्यक्रम होने के चलते बच्चों को अपने भवन में बिठाने से इनकार कर दिया। तब से ये बच्चे कुमारहट्टी में बने राजा वीरभद्र स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं, जहां न पेयजल की उचित व्यवस्था है, न शौचालय का सही प्रबंध। यह स्थिति न केवल बच्चों के लिए कठिन है, बल्कि अभिभावकों के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय है।

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स्कूल का स्टाफ बताता है कि शिक्षा विभाग ने लोक निर्माण विभाग को स्कूल के पुर्ननिरीक्षण के बारे में सूचित ही नहीं किया, ताकि स्कूल को सुरक्षित घोषित करवाया जा सके। लोक निर्माण विभाग के एसडीओ विशाल ने बताया कि अगर शिक्षा विभाग लिखित में जानकारी देगा तो वह तुरंत आकर निरीक्षण करेंगे।

शिक्षा विभाग के डिप्टी डीईओ राजकुमार ने कहा कि वह आज ही विभाग से चिट्ठी लिखवाकर पीडब्ल्यूडी विभाग को इंस्पेक्शन करने के बाबत कहेंगे।

बच्चों के अभिभावकों ने बड़ी संख्या में स्कूल पहुँच कर स्थानीय पंचायत कार्यालय भी गए। उन्होंने एक स्वर में शिक्षा विभाग, प्रशासन, तथा पंचायत से आग्रह किया कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर शीघ्र ही उनके बच्चों को स्कूल में स्थानांतरित किया जाए, अन्यथा वे सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

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इस संवेदनशील मुद्दे पर शिक्षा विभाग और प्रशासन की उदासीनता को देखकर अभिभावक निराश और क्रोधित हैं। वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं, ताकि नन्हे-मुन्ने फिर से सुरक्षित और स्थायी छत के नीचे शिक्षा प्राप्त कर सकें।

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