प्रजासत्ता।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने जनहित और कड़े फैसलों से जहां अपनी और पार्टी की साख को संवारने में लगे हुए हैं वहीं उनकी बेलगाम आईटी टीम उनकी खुद की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
दरअसल गुड फ्राईडे के दिन मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्टें शेयर हुई जिसके बाद पूरे प्रदेश में यह चर्चा का विषय बन गई। खासकर हिंदू विचारधारा रखने वालों, लोगों और विपक्षी दल के लिए तो मजेदार जोक्स की तरह बन गई। हालाँकि जब पोस्ट में बदलाव के बाद भी बात नही बनी तो उसे सोशल मीडिया अकाउंट से हटा दिया गया।
मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया से इस तरह की पोस्ट शेयर होने के बाद लोगों ने उसके सक्रीन शॉट लेकर जमकर सोशल मीडिया पर शेयर किए। सबने अपने-अपने मन की भड़ास के साथ मुख्यमंत्री को खरी- खरी सुनाई। हालाँकि मुख्यमंत्री ने इसे भले ही न सुना हो लेकिन जितने भी लोगों ने इसे पढ़ा और देखा उनके मन में यही सवाल रहा होगा कि क्या मुख्यमंत्री अपनी ही आईटी टीम की व्यवस्था बदलने में अभी से नाकाम है। प्रदेश की व्यवस्था बदलें न बदले लेकिन अगर यह खेला ऐसा ही चलता रहा तो मुख्यमंत्री सुक्खू की अगामी पांच सालों में दशा और दिशा जरूर बदल जायेगी, और जिस लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है उसका मजा अधूरा ही रह जाएगा। क्योंकि अभी सुखविंदर सिंह सुक्खू को राजनीति में लंबी रेस दौड़नी है।
खैर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तो अपना सोशल मीडिया खुद हैंडल नहीं करते होंगे। लेकिन मजेदार बात यह है कि उन्होंने अपनी सोशल मीडिया टीम भी ऐसी जबरदस्त, समझदार, और नायाब रखी है, जिन्हें गुड फ्राईडे के बारे में रत्ती भर भी जानकारी नहीं है। या जानकारी का अभाव है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद एक गरिमामई पद है। उनके निजी सोशल मीडिया अकाउंट से निकलने वाली हर बातों और जानकारियों के कई बड़े मायने होते हैं, लेकिन जिस अंदाज से उनकी आईटी टीम यह सब हैंडल कर रही। उससे लगता है कि बार-बार की गलतियां कहीं न कहीं मुख्यमंत्री पर ही भारी पड़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ था। गुड़िया हत्याकांड में उनके सोशल मीडिया पर जल्दबाजी में डाली गई आरोपियों की तस्वीरों से कितना बड़ा बबाल खड़ा हुआ था यह तो सभी को याद है।
बहरहाल समय रहते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस ओर ध्यान देने की गंभीरता से आवश्यकता है। कहीं ऐसा न हो कि उनके सोशल मीडिया से कुछ ऐसा संदेश प्रसारित हो जाए, जिससे उनके व्यवस्था परिवर्तन के सपने कहीं हवा में ही न रह जाए। पांच साल बाद उनकी व्यवस्था परिवर्तन की सही दिशा और दशा, दुर्दशा में न बदल जाएं।