Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal Political Controversy: सुधीर शर्मा का SP संजीव गाँधी पर पलटवार, लीगल नोटिस भेजा, बोले- “हर गांधी महात्मा नहीं होता “

Himachal Political Controversy: सुधीर शर्मा का SP संजीव गाँधी पर पलटवार, लीगल नोटिस भेजा, बोले- "हर गांधी महात्मा नहीं होता "

Himachal Political Controversy: हिमाचल प्रदेश में पुलिस और पॉलिटिशियन के ( HP Police And Politicians Crisis ) बीच सियासी घमासान एक बार फिर से सुर्खियों में है। शिमला में एसपी संजीव गाँधी की पत्रकार वार्ता के बाद भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है।

सुधीर ने न केवल एसपी की कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि उनकी छवि को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए विधानसभा में विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी है। साथ ही, उन्होंने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात भी कही।

दरअसल , पॉवर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर रहे विमल नेगी की संदिग्ध हालात में मौत के मामले से जांच पर सवाल खड़ा होने के बाद, यह पूरा विवाद विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त और हाईकोर्ट की लाइव कार्यवाही को सोशल मीडिया पर साझा करने के मुद्दे को लेकर शुरू हुआ है।

सुधीर का तीखा हमला: “एसपी खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट न बांटें”

शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी कर सुधीर शर्मा ने एसपी संजीव गांधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट अपनी कार्यवाही को स्वयं लाइव स्ट्रीम करता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। सुधीर ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई वीडियो स्वयं नहीं बनाया।

इसे भी पढ़ें:  Himachal Rain: हिमाचल में आफत बनकर बरस रहे बादल, होटल-दुकान-घर सब बहा ले गया सैलाब ..!

एसपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों पर पलटवार करते हुए सुधीर ने सवाल उठाया, “अगर एसपी के पास सबूत थे, तो अब तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?” उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “एसपी संजीव गांधी खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटना बंद करें। लोगों को याद रखना चाहिए कि हर गांधी महात्मा नहीं होता।”

सुधीर ने सीबीआई से मांग की कि संजीव गांधी के कार्यकाल की जांच हो, जिसमें उनके डीएसपी, एएसपी और एसपी के रूप में विभिन्न जिलों में किए गए कार्यों और जूनियर अधिकारियों के साथ व्यवहार की पड़ताल की जाए। उन्होंने कांगड़ा में संजीव के एसपी कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि वहां स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि सरकार को जिले में दो एसपी नियुक्त करने पड़े।

निलंबित एएसआई के गायब होने पर सवाल

सुधीर ने निलंबित एएसआई पंकज कुमार के मामले को भी उठाया, जो कथित तौर पर एक पेन ड्राइव लेकर गायब हो गया। उन्होंने सवाल किया कि पंकज, जो एसपी शिमला के अधीन था, आखिर कैसे गायब हो गया? सुधीर ने गृह मंत्रालय से पंकज को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की और आरोप लगाया कि एसपी पत्रकार वार्ता कर तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें:  हिमाचल में बारिश और भूस्खलन से प्रभावित परिवारों को विशेष पैकेज के तहत दी जाएगी राहत राशि

एसपी का आरोप: “सुधीर खरीद-फरोख्त मामले में मास्टरमाइंड”

वहीँ दूसरी ओर, शिमला में आयोजित प्रत्रकार वार्ता में एसपी संजीव गांधी ने एक सवाल के जबाब में कहा कि उन्होंने सुधीर शर्मा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि सुधीर ने हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की।

संजीव ने दावा किया कि हाईकोर्ट के नियमों के खिलाफ जाकर सुधीर ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से उनके खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया। उन्होंने कहा, “विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सुधीर शर्मा जांच में शामिल हैं और अब तक की जांच में वह इस पूरे प्रकरण के मास्टरमाइंड के रूप में सामने आए हैं।” संजीव ने हाईकोर्ट से सुधीर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही, कॉपीराइट और सूचना अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग की है।

सियासी तकरार और कानूनी जंग

यह विवाद अब सियासी और कानूनी जंग का रूप ले चुका है। सुधीर शर्मा ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में हर स्तर पर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, चाहे वह एसपी हो या कोई अन्य अधिकारी। दूसरी ओर, एसपी संजीव गांधी ने भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है। दरअसल,  सुधीर शर्मा को लग रहा है कि एसपी शिमला सरकार के लिए काम कर रहे हैं। इस मामले में आने वाले दिनों में और सियासी गर्माहट देखने को मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें:  सरकार और एसजेवीएन की नाकामी से प्रभावित अनशन पर बैठने को मजबूर

 

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now