Exclusive! टेंडर के बिना सड़क मुरम्मत, क्या नूरपुर नगर परिषद ने सरकारी धन की की खुलेआम लूट?

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Tek Raj


Exclusive! टेंडर के बिना सड़क मुरम्मत, क्या नूरपुर नगर परिषद ने सरकारी धन की की खुलेआम लूट?

Exclusive Kangra News: क्या नूरपुर नगर परिषद के अधिकारी सरकार की फजीहत कराने में जुटे हैं? क्या किसी चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए नगर परिषद ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की है? यह सवाल अब हर किसी की जुबान पर है, जब नूरपुर शहर के बाजार में चौंक चौधरियाँ दा खुह से लेकर न्याजपुर तक सड़क मुरम्मत का काम बिना टेंडर आमंत्रित किए शुरू कर दिया गया।

kips600 /></a></div><p>दरअसल, इस कार्य में <strong>1800 मीटर लंबी सड़क</strong> को मशीनों से तोड़कर <strong>इंटरलॉक टाइल्स</strong> लगाई जानी हैं, और इसके लिए लाखों रुपये के खर्चे का अनुमान है। नूरपुर नगर परिषद द्वारा <strong>बिना टेंडर के करोड़ों रुपये</strong> के <strong>सड़क मुरम्मत कार्य</strong> के आदेश से यह साबित होता है कि सरकारी तंत्र में <strong>पारदर्शिता और ईमानदारी</strong> की भारी कमी है। इस मामले में उच्च अधिकारियों और नेताओं की चुप्पी और परहेज़ से यह साफ होता है कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है।</p><h3><strong>क्या है मामला? </strong></h3><p>सूत्रों के अनुसार, <strong>बिना किसी टेंडर प्रक्रिया</strong> के यह काम किसी <strong>‘चहेते’ ठेकेदार</strong> को दे दिया गया है। जब इस संदिग्ध मामले की जानकारी मिली, तो इसकी तहकीकात शुरू की। सबसे पहले <strong>नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी आशा वर्मा</strong> से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने दावा किया कि उन्हें इस मुद्दे की कोई जानकारी नहीं है और वह अस्पताल में हैं, बाद में जानकारी देंगे।</p><p>इसके बाद<strong> नगर परिषद के अन्य कर्मचारियों</strong> से संपर्क किया, तो उन्होंने भी यही कहा कि <strong>टेंडर की प्रक्रिया</strong> के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता। उधर, <strong>नगर परिषद के अध्यक्ष</strong> से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उनका जवाब था, <strong>“हमारा काम सिर्फ चर्चा करना है,</strong> बाकी का काम परिषद के ईओ और स्टाफ करता है।” न तो उन्होंने और न ही अन्य अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब दिया।</p><h3><strong>कहां गया पारदर्शिता? </strong></h3><p>जिस तरह से सभी <strong>अधिकारी इस मामले पर <a href=गोलमोल जबाब दे रहे है, उससे यह सवाल अब हर किसी के दिमाग में है कि इस काम के लिए टेंडर प्रक्रिया को अपने चहेतों को लाभ देने के लिए सही तरीके से लागू नहीं किया है। अगर किया होता, तो क्यों कोई अधिकारी इस बारे में बात नहीं कर रहा? नगर परिषद के अधिकारी और अन्य संबंधित लोग इस मामले में जानकारी देने से बच रहे हैं।, और कुछ अधिकारियों ने तो तो फाइल देखकर जानकारी देने के बाद अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। आखिर क्यों?

चुप्पी के पीछे क्या है सच्चाई? इस मामले में कई सवाल उठते हैं, जो अब तक अनसुलझे हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि

  • नगर परिषद ने टेंडर की सूचना अखबारों में क्यों नहीं प्रकाशित की?
  • क्या यह जानबूझकर किया गया ताकि किसी को भी इस मामले की भनक न लगे?
  • क्या यह केवल एक उदाहरण है, या इससे पहले भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं?

कितनी अनियमितताएँ हो रही हैं?

इस मामले के उजागर होने के बाद स्थानीय जनता अब यह सवाल कर रही है कि आखिर नगर परिषद के भीतर कब से यह ‘खेल’ चल रहा है? क्या स्थानीय लोग इस मुद्दे को उठाने से डर रहे थे या फिर वे भी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं? एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस घोटाले की जांच करवाएगी और नगर परिषद के अधिकारियों की संलिप्तता को उजागर करेगी?

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

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