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Manimahesh: हिमालय की गोद में छिपा शिव का दिव्य धाम मणिमहेश.!

Manimahesh: हिमालय की गोद में छिपा शिव का दिव्य धाम मणिमहेश.!

Manimahesh Lake in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश का चंबा ज़िला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। इसी जिले के भरमौर उपखंड में एक ऐसा पवित्र स्थल स्थित है, जिसे देखना हर श्रद्धालु का सौभाग्य माना जाता है — मणिमहेश कैलाश। इसे चंबा कैलाश भी कहा जाता है और यह भगवान शिव के निवास स्थल के रूप में जाना जाता है।

मणिमहेश शिखर – जहाँ मिलते हैं आस्था और प्रकृति

5,653 मीटर (18,547 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह शिखर मणिमहेश झील के ऊपर गर्व से खड़ा है। शिखर पर एक चट्टान है, जिसे शिव लिंगम के रूप में देखा जाता है। मान्यता है कि मणिमहेश शिखर केवल भाग्यशाली श्रद्धालुओं को ही दिखाई देता है।

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मणिमहेश शिखर – जहाँ मिलते हैं आस्था और प्रकृति
मणिमहेश शिखर – जहाँ मिलते हैं आस्था और प्रकृति

स्थानीय लोग कहते हैं कि जो सच्चे भाव से यहाँ आता है, वही इस दर्शन का पुण्य पाता है। शिखर के नीचे फैला बर्फ़ीला मैदान “शिव का चौगान” कहलाता है — एक ऐसी जगह, जिसे देवों का खेल स्थल माना गया है।

मणिमहेश झील का धार्मिक महत्व

मणिमहेश झील, इस क्षेत्र की आत्मा है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुँचते हैं और झील में स्नान करके मोक्ष की कामना करते हैं। झील के पास ही दो और पवित्र जलाशय स्थित हैं — गौरी कुंड और शिव क्रोत्री। गौरी कुंड को माँ पार्वती से जोड़ा जाता है, जबकि शिव क्रोत्री को भगवान शिव के स्नान का स्थान माना गया है।

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मणिमहेश झील
मणिमहेश झील

मणिमहेश यात्रा का मार्ग

इस पावन यात्रा की शुरुआत आमतौर पर भरमौर से होती है। यहाँ से श्रद्धालु पैदल यात्रा कर मणिमहेश झील तक पहुंचते हैं। रास्ता कठिन जरूर है, लेकिन शिवभक्ति और प्रकृति की गोद में वह कठिनाई भी तपस्या बन जाती है।

मणिमहेश शिखर – जहाँ मिलते हैं आस्था और प्रकृति
मणिमहेश यात्रा

यात्रा के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है और यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहें, तो सबसे पास का हवाई अड्डा कांगड़ा (गग्गल एयरपोर्ट) है।

शिव की परिक्रमा – कैलाश से मणिमहेश तक

तिब्बत का कैलाश पर्वत, जिसे शिव का मूल निवास कहा जाता है, हिमालय की ऊंचाइयों में स्थित है। उसके पश्चिम में मानसरोवर और राक्षसताल जैसी पवित्र झीलें हैं। वहीं से ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलुज जैसी महान नदियों का उद्गम होता है। मणिमहेश को शिव की इसी दिव्यता का प्रतिबिंब माना जाता है।शिव की परिक्रमा

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