प्रजासत्ता ब्यूरो|
ठियोग से कांग्रेस विधायक पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने विधानसभा सदन में वर्ल्ड बैंक द्वारा फंडिड 1066 करोड़ रुपए के हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में हुए घोटाले का मामला उठाया। राठौर ने प्रोजेक्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अपनी सरकार से मामले में श्वेत पत्र मांगाते हुए इस प्रोजेक्ट में हुए घोटाले की जांच कराने की मांग की है।
राठौर ने सदन में प्रोजेक्ट को बड़ा राजनीतिक घोटाला बताते हुए कहा कि हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का यदि सही इस्तेमाल किया जाता तो प्रदेश की बागवानी का कायाकल्प हो जाता, लेकिन इसके नाम पर सिर्फ लीपा पोती की गई है। बता दें कि इससे पहले भी कुलदीप राठौर इस मामले को कई मंचों पर उठा चुके हैं।
इस पर बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में कोल्ड चेन और मार्केट यार्ड तैयार करने का काम 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। अब तक 754 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट के खर्च किए जा चुके हैं। बागवानी मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इसकी विस्तृत जांच की जाएगी। राठौर के हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लक्ष्य से जुड़े सवाल पर बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट वर्ष 2016 में शुरू किया गया था। वर्ष 2019 तक इसकी प्रोग्रेस बहुत धीमी रही। इसके बाद प्रोजेक्ट में तेजी आई।
गौरतलब है कि हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का उद्देश्य सेब की उन्नत बागवानी को बढ़ावा देना, पुराने बगीचों को हाई डेन्सिटी में बदलना, हाई डेन्सिटी फार्मिंग के लिए अच्छा प्लांटिंग मैटेरियल बागवानों को देना और सिंचाई सुविधाओं का इंतजाम करना प्रोजेक्ट का लक्ष्य है।
जून में खत्म हो जाएगी विश्व बैंक फंडिड बागवानी विकास परियोजना, सरकार ने मांगी एक साल की एक्सटेंशन
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना 6 साल पहले शुरू हो गई थी लेकिन शुरुआत में ही इसकी गति बेहद धीमी रही। 4 सालों तक इस में मात्र 140 करोड का ही काम हो पाया लेकिन अंतिम लड़ाई साल में इस परियोजना में तेजी लाई गई और करीब 609 करोड के कार्य किए गए। इस साल जून माह में खत्म हो रही 1066 करोड़ की योजना के तहत अब तक 756 करोड के कार्य हो पाए है। बाकि बचे हुए कार्य के लिए सरकार ने विश्व बैंक से 1 साल की एक्सटेंशन मांगी है।
बता दें कि विश्व बैंक की यह परियोजना जून 2016 में वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में मंजूर हुई थी। सेब और स्टोन फुट के लिए लाई गई इस परियोजना पर काफी समय तक काम नहीं हो पाया जिस कारण यहां प्रोजेक्ट पटरी से उतर गया।