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HP Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई और ईडी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, जांच पर लगा सवालिया निशान

छात्रवृत्ति घोटाला HP Scholarship Scam

HP Scholarship Scam Case: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में केंद्रीय एजेंसियां सीबीआई और ईडी खुद सवालों के घेरे में आ गई हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच में जुटी इन एजेंसियों के अधिकारियों पर ही रिश्वत मांगने के आरोप लगने से मामला और अधिक गंभीर हो गया है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 2013-2019 के बीच 2.38 लाख छात्रों की स्कॉलरशिप में 250 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। जिसमे सीबीआई और ईडी ने जांच की, और उनके जाँच अधिकरियों पर रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। इसी मामले में दो गिरफ्तारियां भी हुई हैं।

HP Scholarship Scam: रिश्वतखोरी में घिरी जांच एजेंसियां

उल्लेखनीय है कि इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई शिमला कार्यालय के डीएसपी को चंडीगढ़ सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने घोटाले में नामजद आरोपियों से मिलने वाली रिश्वत में 10% कमीशन मांगा था। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक विशाल दीप की गिरफ्तारी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच नए सिरे से शुरू की गई है। विशाल दीप पर दो शिक्षण संस्थान संचालकों से ढाई करोड़ रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है।

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सीबीआई और ईडी के खिलाफ कार्रवाई

इस खुलासे के बाद चंडीगढ़ सीबीआई ने मामले की जांच कर रहे शिमला कार्यालय का रिकॉर्ड जब्त कर लिया है। इसके साथ ही शिमला कार्यालय के डीएसपी का तबादला कर उनकी जगह डीएसपी गोविंद सिंह सोलंकी को तैनात किया गया है। दूसरी ओर, ईडी के दिल्ली मुख्यालय ने शिमला सब-जोनल उपनिदेशक और मुख्यालय के संयुक्त निदेशक को जांच का जिम्मा सौंप दिया है।

HP Scholarship Scam: कंपनियों और संस्थानों पर फिर कसेगा  शिकंजा

सीबीआई अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ईडी के पूर्व सहायक निदेशक ने अन्य कंपनियों से भी पैसे तो नहीं मांगे थे। इसके लिए बद्दी, बरोटीवाला और कालाअंब में कई कंपनियों के संचालकों से पूछताछ की जा रही है।

जनता का भरोसा टूटा

छात्रवृत्ति घोटाले में एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठने से लोगों में असमंजस है। जब जांच एजेंसियों के अधिकारी ही रिश्वत मांगने के आरोपों में फंस जाएं, तो न्याय व्यवस्था पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच हिमाचल प्रदेश के 29 निजी शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया। सीबीआई ने इस मामले में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है, जबकि ईडी ने धन शोधन के आरोपों की जांच शुरू की थी। लेकिन अब जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगने से पूरा मामला संदेह के घेरे में है।

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दरअसल, हिमाचल प्रदेश में 2.38 लाख एसटी, एससी और माइनोरिटी वर्ग के छात्रों को स्कॉलरशिप मिलनी थी. राज्य के निजी संस्थानों के छात्रों को भी स्कॉलरशिप दी जानी थी। लेकिन इस स्कॉलरशिप के पैसे को निजी संस्थानों ने फर्जी तरीके से गबन कर लिया।  छात्रों के फर्जी दाखिले दिखाए गए और पैसे ले लिए गए।  क्योंकि यह रकम सीधे छात्रों को नहीं मिलती थी, बल्कि कॉलेजों के जरिए दी जाती थी। इस घोटाले में 19,915 छात्रों के नाम पर 4 मोबाइल नंबरों से जुड़े बैंक खातों में पैसा डाला गया।  फिलहाल, कुल फर्जीवाड़ा 250 करोड़ से अधिक का है।

छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल संस्थानों से जुड़े प्रबंधन ने उगाही के लगाए थे आरोप

बता दें कि छात्रवृत्ति घोटाले में जिन निजी शिक्षण संस्थानों पर आरोप लगे थे, हिमाचल प्रदेश के उन्ही निजी शिक्षण संस्थान जिसमे हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन रजनीश बंसल, देवभूमि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन भूपिंदर शर्मा, आईसीएल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन संजीव प्रभाकर और दिव्यज्योति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डी.जे. सिंह ने ईडी पर उगाही, दुर्व्यवहार और टॉर्चर के आरोप लगाए थे।

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