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बहुचर्चित गुडिया रेप-मर्डर मामला: दोषी नीलू के लिए CBI ने मांगी फांसी, 3 दिन बाद आएगा फैसला

Tek Raj
9 Min Read
अदालत में सुनवाई के दौरान दोषी

प्रजासत्ता
कोटखाई के बहुचर्चित गुडिया रेप और मर्डर केस में दोषी नीलू की सजा पर बहस को लेकर मंगलवार को शिमला जिला अदालत में सुनवाई हुई| इस दौरान सीबीआई के वकील और बचाव पक्ष के वकील ने अपनी अपनी दलीलें रखी| अब मामले में 18 जून को सजा का ऐलान किया जाएगा| बता दें कि पिछली पांच सुनवाईयां कोरोना के चलते टाल दी गई थी और 28 अप्रैल को नीलू को दोषी करार दिया गया था|

मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कहा कि दोषी पेशेवर अपराधी है| सीबीआई के वकील ने इस संबंध में निर्भया केस का जिक्र किया और कहा कि दोषी को फांसी की सजा सुनाई जाए| वहीँ बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि दोषी ने इस घटना को प्लानिंग के तहत अंजाम नहीं दिया था| ऐसे में सजा-ए-मौत की सजा नहीं सुनाई जाए| वहीं, बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि दोषी की मां उस पर निर्भर है| जबकि सीबीआई के वकील ने कहा कि दोषी के दो और भाई हैं| वह मां की देखभाल कर सकते हैं| अब 18 जून को दोनों पक्षों को कोर्ट में बुलाया गया है साथ ही सजा का ऐलान भी किया जाएगा|

क्या है मामला और अब तक क्या हुई कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस ने लोगों को दहला कर रख दिया था| अब जाकर इस मामले में गुड़िया को इंसाफ मिलने का वक्त करीब आया है| अदालत ने आरोपी अनिल उर्फ नीलू को दोषी करार दे दिया है और अब जल्द सजा का ऐलान भी कर दिया जायेगा|

गुड़िया के साथ पहले बलात्कार किया गया था और फिर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गई थी| पहले इस मामले की जांच पुलिस और एसआईटी कर रही थी| लेकिन विवाद होने के बाद मामला सीबीआई के हवाले किया गया था. तब से कोर्ट में मामले का ट्रायल चल रहा था| आइए जानते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ?

4 जुलाई 2017
16 साल की गुड़िया जब स्कूल से वापस आ रही थी तभी उसका अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया गया था. फिर बलात्कार के बाद मासूम गुड़िया की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद हत्यारे ने उसके मृत शरीर को जंगल में फेंक दिया था|

7 जुलाई 2017
16 साल की स्कूली छात्रा गुड़िया का शव कोटखाई के जंगल से बरामद हुआ था| मामले की जांच एक-दो दिन बाद ही स्थानीय पुलिस से लेकर हिमाचल पुलिस की स्टेट एसआईटी के हवाले कर दी गई थी| पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच से खुलास हो चुका था कि हत्या से पहले उसके साथ रेप किया गया था. इस मामले को लेकर पुलिस पर खासा दबाव था|

इस केस में एसआईटी ने दस दिनों के भीतर कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया| जिनमें आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह, सुभाष, लोकजन, दीपक और सूरज सिंह शामिल थे| इन सभी को संदिग्ध मानकर इनसे पूछताछ की जा रही थी| लेकिन असली आरोपी का कुछ अता पता नहीं था|

18 जुलाई 2017
इस मामले में एसआईटी की हिरासत में पूछताछ के दौरान एक आरोपी सूरज सिंह की देर रात मौत हो गई थी| आरोप था कि सूरज को पुलिस कस्टडी में बहुत मारा-पीटा गया था| इसी वजह से उसने दम तोड़ दिया था|

19 जुलाई 2017
सूरज की मौत के बाद इस मामले में लोगों का गुस्सा इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उन्होंने कोटखाई पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी| इस मामले में एसआईटी पर आरोप लगे थे कि वो मामले को सुलझाने के लिए निर्दोष लोगों गिरफ्तार कर रही थी|

20 जुलाई 2017
इस मामले को लेकर कई स्थानों पर उग्र प्रदर्शन हुए थे| जनता में बढ़ता रोष और एसआईटी पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी| सीबीआई ने तेजी से मामले की छानबीन शुरू की| सीबीआई ने शिमला पुलिस और एसआईटी द्वारा पकड़े गए आरोपियों को मुजरिम नहीं माना था और नए सिरे से अपनी जांच शुरू की थी|

8 अगस्त 2017
इस मामले में सीबीआई ने हिमाचल पुलिस के आईजी समेत आठ पुलिस वालों को गिरफ्तार किया था| पुलिस पर 18 जुलाई की रात एक आरोपी सूरज को पीट-पीटकर मारने का आरोप लगा था| इसके बाद सीबीआई की जांच आगे बढ़ती रही|

13 अप्रैल 2018
महीनों की छानबीन और जांच के बाद सीबीआई ने 25 साल के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया था, जो जंगलों में पेड़ काटने का काम करता था| आरोपी की पहचान अनिल उर्फ नीलू के रूप में की गई थी| अनिल उर्फ नीलू मूलतः मंडी जिला के बरोट का रहने वाला है| वो शिमला में पेड़ काटने का काम करता था| सीबीआई उसको लेकर शिमला के कोटखाई जंगल में भी गई थी|

दरअसल, सीबीआई ने इस मामले में कुछ ऐसे लोगों से भी पूछताछ की थी, जिनको शिमला पुलिस ने नजरअंदाज किया था| सीबीआई ने जब एक पेड़ काटने वाले मजदूर से पूछताछ की, तो उसने अनिल का नाम उगल दिया था| इसके बाद सीबीआई अनिल तक पहुंची| सीबीआई ने आरोपी से राजधानी दिल्ली में स्थित अपने मुख्यालय में पूछताछ लंबी पूछताछ की थी|

25 अप्रैल 2018
जांच टीम ने कोर्ट के समक्ष अपनी पहली जांच रिपोर्ट दाखिल की थी| जिसमें एसआईटी की सारी थ्योरी का नकार दिया गया था|

8 मई 2018
गुड़िया रेप और मर्डर केस में सीबीआई ने हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी| पहले कोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थी| कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि इस मामले में फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए|

29 मई 2018
सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी| सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, 4 जुलाई 2017 को गुड़िया की रेप के बाद हत्या करने के अगले दिन आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू ने दो अन्य महिलाओं से रेप करने की कोशिश की थी| हालांकि, इन दोनों मामलों में पुलिस से शिकायत नहीं की गई थी|

सीबीआई ने कोर्ट में आरोपी के खिलाफ 35 पन्नों की चार्जशीट दायर की| चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ दोष साबित करने के लिए 60 गवाह बनाए गए थे| सीबीआई की ओर से अकेले अनिल कुमार के खिलाफ चार्जशीट पेश किए जाने से यह भी साफ हो गया था कि आरोपी ने अकेले ही इस वारदात को अंजाम दिया था| इस मामले में किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई सबूत भी नहीं थे|

इस केस में सीबीआई को पहले गिरफ्तार किए जा चुके आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह, सुभाष, लोकजन, सूरज और दीपक के खिलाफ संलिप्तता के कोई सुबूत नहीं मिले थे| लिहाजा सीबीआई ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि इन सभी को केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए| बता दें कि सूरज की पहले ही पुलिस कस्टडी में मौत हो चुकी थी| बाद में पांचों आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया गया था|

16 अप्रैल 2021
शिमला की जिला अदालत में बहुचर्चित गुड़िया रेप एंड मर्डर केस सुनवाई हुई थी| इस दौरान आरोपी अनिल ऊर्फ नीलू को भी अदालत में लाया गया था| उस दिन करीब एक घंटे से ज्यादा तक इस मामले में सुनवाई चली| कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना| आरोपी नीलू के खिलाफ चल रहे ट्रायल में कुछ दलीलों पर बहस होने के बाद फैसला आने की उम्मीद थी| लेकिन सेशन जज राजीव भारद्वाज की अदालत ने इसके लिए 28 अप्रैल की तारीख तय कर दी थी|

28 अप्रैल 2021
शिमला की जिला अदालत ने मामले पर फैसला सुनाते हुए आरोपी अनिल उर्फ नीलू को दोषी करार दे दिया|

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By Tek Raj
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