प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश विकास के मामले में केंद्र सरकार पर ही निर्भर रहता है। बीते करीब दो दशक से प्रदेश में कर्ज का मर्ज कम होने का नाम ही ले रहा। मौजूदा हालात यह है कि हिमाचल प्रदेश की गाड़ी कर्ज लिए बिना आगे नहीं बढ़ती। इस बीच अब केंद्र ने एक के बाद एक झटके देकर हिमाचल की राह मुश्किल कर दी है।
जहाँ केंद्र सरकार ने हिमाचल के कर्ज लेने की सीमा 5500 करोड़ रुपए तक घटा दी है, वहीँ अब विदेशी बैंकों से कर्ज लेने की सीमा को 7000 करोड़ रुपये कर दिया है। यह सीमा नई परियोजनाओं में इसी वित्तीय वर्ष से लागू हो जाएगी। केंद्र के इस फैसले से हिमाचल की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो जाएंगी। क्योंकि विकास व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश ऋण पर ही निर्भर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हिमाचल प्रदेश को 90:10 अनुपात के तहत सहायता राशि मिल रही है। ऐसे में केंद्र पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने अपने ऋण के बोझ को कम करने के लिए बैंकों से ऋण लेने के लिए सीमा निर्धारित कर दी है।
बता दें कि हिमाचल सरकार को विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति के लिए केंद्र को भेजना पड़ता है। ऐसे में अब कुछ चुनिंदा और सबसे महत्वपूर्ण विकास कार्यों कार्यों को ही स्वीकृति के लिए भेजना होगा।