प्रजासत्ता ब्यूरो |
New Education Policy In Himachal Big update : हिमाचल प्रदेश में अब ग्रेजुएशन के कोर्स लेकर बड़ा अपडेट आया है। दरअसल, नई शिक्षा निति के तहत हिमाचल प्रदेश में अब ग्रेजएशन के कोर्स चार साल के होंगे। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में अब नई नोटिफिकेशन जारी कर दी है।
बता दें कि विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू करना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा है और चरणबद्ध तरीके से उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल बिंदुओं को लागू किया जा रहा है।
नए आदेशों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त सभी कॉलेजो में यह नियम लागू होगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार, तीन या चार साल के कोर्स के दौरान एंट्री और एग्जिट की ऑप्शन रहेगी। एक साल की पढ़ाई (दो समेस्टर) के लिए डिप्लोमा मिलेगा। साथ ही दो साल पूरा करने पर भी डिप्लोमा मिलेगा और तीन साल के लिए बैचलर डिग्री और चार साल के लिए बेचलर (ऑनर्स) की डिग्री मिलेगी।
वहीँ एक साल बाद कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को 40 क्रेडिट स्कोर करना होगा। तभी इन्हें यूजी सर्टिफिकेट मिलेगा। साथ ही यदि ये स्टूडेंट दोबारा इसी कोर्स में लौटना चाहते हैं तो तीन साल के अंदर दोबारा एडमिशन लेनी होगी और सात साल में कोर्स पूरा करना होगा।
हिमाचल प्रदेश में एचपीयू के तहत कई कॉलेज और संस्थान हैं। इनमें सरकारी और निजी कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, रिसर्च इंस्टीट्यूट, मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कॉलेज, लॉ कॉलेज, बीएड कॉलेज, और संस्कृत कॉलेज शामिल हैं। इसलिए हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त इन सभी कॉलेजो में यह नियम (New Education Policy In Himachal) लागू होगा।
पीएचडी में सीधे प्रवेश
नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा ढांचे में कई बदलाव किए जा रहे हैं और अब पहली बार स्नातक डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों को भी 4 वर्ष का कोर्स करने के बाद पीएचडी में सीधे प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। अभी तक यह व्यवस्था केवल 4 वर्ष के इंजीनियरिंग कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए मान्य थी।
शोध को बढ़ावा देने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। पीएचडी कोर्स की अवधि न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 6 वर्ष तय की गई है, इसमें कोर्स वर्क की समयावधि को शामिल नहीं किया गया है। पीएचडी करने के दौरान महिला अभ्यर्थियों को अधिकतम 240 दिन का मातृत्व अवकाश भी मिल सकेगा।
New Education Policy In Himachal से जानिए क्या मिलेगा फायदा
विशेषज्ञों की मानें तो 4 वर्षीय डिग्री कोर्स के पाठ्यक्रम विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीय डिग्रियों को समकक्षता मिलेगी। इससे विद्यार्थियों को विदेशों में स्थित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने में आसानी होगी। जानकारों का मानना है कि कई विदेशी विश्वविद्यालय 3 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स को मान्यता नहीं देते हैं। इस वजह से भारत के विश्वविद्यालयों में 3 वर्षीय डिग्री कोर्स करने वालों को विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का मौका नहीं मिल पाता है। इस कारण देश में शोध कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूजीसी के अलावा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के प्रारूप के तहत 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स दोबारा शुरू किए जा रहे हैं।
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