प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट पर चिंताओं के बीच एक टिकाऊ और साथ ही स्थायी आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022 की अंतिम मौद्रिक नीति की समीक्षा में विकास-उन्मुख समायोजन रुख के साथ अपनी प्रमुख उधार दरों को बरकरार रखा है। बता दें कि रेपो रेट को 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। गौर हो कि रेपो रेट उस दर को कहते हैं, जिसपर आरबीआई बैंकों को शॉर्ट टर्म उधार देती है और रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं, जिसपर वो बैंकों से उधार लेती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि समिति ने कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अपने ‘Accommodative Stance’ को अपनाए रखने का फैसला किया है। दास ने कहा कि इकॉनमिक रिकवरी तेज हो रही है, लेकिन इतनी मजबूत नहीं है कि अपने दम पर सतत तेजी जारी रख सके।
गवर्नर ने यह भी कहा कि ओमिक्रॉन के संक्रमण के चलते आउटलुक नकारात्मक दिख रहा है। आर्थिक रिकवरी पर उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मांग में सुधार नजर आ रहा है, वहीं, शहरी मांग भी मजबूत हो रही है। पेट्रोल, डीजल के मूल्यों पर कर की दरें कम होने से खपत मांग को मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता को बनाये रखने के लिये नकदी का प्रबंधन करता रहेगा और आरबीआई बैंकों को बिना उसकी पूर्व मंजूरी के विदेशी शाखाओं में पूंजी डलने और लाभ भेजने की अनुमति देगा।
आरबीआई ने इस बार भी वित्तवर्ष 2021-22 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 9.5% पर बनाए रखा है। रिटेल इंफ्लेशन के अनुमान को फिर FY22 के लिए 5.3% पर रखा गया है। CPI इंफ्लेशन का अनुमान भी 5.3% पर स्थिर है। एमपीसी को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गई है।