प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान अपनी प्रमुख अल्पकालिक उधार दरों के साथ-साथ विकास पर जोर देते हुए दरों में समायोजन रुख को बरकरार रखा है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी बैठक में वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो दर, या अल्पकालिक उधार दर को 4 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया। इसी तरह, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और ‘बैंक दर’ को 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया। यह माना जा रहा था कि एमपीसी दरें और समायोजनात्मक रुख बनाए रखेगी।
गवर्नर दास ने कहा कि आर्थिक सुधार के लिए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और जब तक जरूरी होगा, तब तक यही रुख बनाए रखा जाएगा| आरबीआई ने अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था| उन्होंने अर्थव्यस्था के लिए कुछ फैक्टरों को आशा की किरण बताया| उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून का अनुमान, कृषि क्षेत्र की क्षमता और ग्लोबल रिकवरी के चलते घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है|
जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाया गया
जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को लेकर गवर्नर ने कहा कि वित्तवर्ष 2021-22 के लिए असल अनुमान 9.5 फीसदी रखा गया है. उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटा कर 9.5 प्रतिशत कर दिया है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सीपीआई इंफ्लेशन (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या खुदरा मुद्रास्फीति) का अनुमान 5.1% पर किया गया है|
कुछ और सेक्टरों के लिए खोला गया लिक्विडिटी विंडो
गवर्नर ने बताया कि दूसरी लहर के प्रभावों को कम करने के लिए एक अलग से 15,000 करोड़ का लिक्विडिटी विंडो खोला जा रहा है| जिसके तहत बैंक होटल-रेस्टोरेंट, टूरिज्म सेक्टर वगैरह को उधार दे सकेंगे. यह योजना 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी|
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